नया साल ने दस्तक दे दी है. पार्टियों के दौर चल रहे हैं. जाम से जाम टकरा रहे हैं. अपनों के साथ, दोस्तों के इसरार पर, कुछ ज़्यादा ही पी ली जा रही है.
पर, नतीजा ये होता है कि रात की पार्टी का ख़ुमार उतरते ही सिर भारी होता है. उल्टी और चक्कर आते हैं. थकान महसूस होती है.
लोग कहते हैं कि ये पीने का हैंगओवर है. हिलसा का अचार खाओ. या अंडे खाओ या फिर ओइस्टर खा लो. उतर जाएगा ये ख़ुमार.
ज़्यादा शराब पीने के बाद अक्सर लोगों को हैंगओवर की शिकायत होती है. फिर, जो दोस्त ज़िद करके ज़्यादा शराब पिलाते हैं, वो अगले दिन की ख़ुमारी उतारने के नुस्खे बताने लगते हैं.
हैंगओवर कैसे उतरे, ये सवाल आज का नहीं, हज़ारों साल पुराना है. मिस्र में मिले 1900 साल पुराने एक भोजपत्र पर शराब के नशे से उबरने के नुस्खे लिखे पाए गए हैं.
यानी उस दौर में भी लोग ज़्यादा शराब पीने की ख़ुमारी उतारने की चुनौती से परेशान थे और इसका हल तलाश रहे थे. उस भोजपत्र में तो जो नुस्खा सुझाया गया था, वो आज अमल में ला पाना बहुत मुश्किल है.
पर, आज भी नशे की ख़ुमारी उतारने के लिए तमाम नुस्खे बताए जाते हैं. जैसे कि भुनी हुई कैनेरी चिड़िया का मांस खाना. नमकीन बेर खाना या फिर कच्चे अंडों, टमाटर के जूस, सॉस और दूसरी चीज़ें मिलाकर तैयार प्रेयरी ओइस्टर.
पर, मज़े की बात ये है कि इन में से कोई भी नुस्खा या तरक़ीब हैंगओवर से निजात दिलाने का पक्का वादा नहीं करती.
केवल, वक़्त ही हमें ज़्यादा शराब गटकने की ख़ुमारी से उबारता है. इसकी बड़ी वजह ये है कि अब तक हैंगओवर क्यों होता है, यही नहीं पता.
विज्ञान कहता है कि हमें जब ज़्यादा शराब पीने का हैंगओवर महसूस होता है. यानी जब सिर भारी होने, चक्कर आने और थकान की शिकायत होती है, तब तक तो शराब हमारे शरीर से निकल चुकी होती है.
तो, आख़िर हैंगओवर होता क्यों है?
शराब एथेनॉल से बनती है. इसे हमारे शरीर में मौजूद एंजाइम तोड़कर कई दूसरे केमिकल में तब्दील कर देते हैं. इनमें से सबसे अहम है एसिटेल्डिहाइड. इसे और तोड़कर एंजाइम इसे एसीटेट नाम के केमिकल में बदल देते हैं. ये एसीटेट वसा और पानी में बदल जाता है. कुछ वैज्ञानिक ये मानते थे कि एसिटेल्डिहाइड की वजह से हैंगओवर होता है. लेकिन, कुछ रिसर्च से ये बात सामने आई है कि एसिटेल्डिहाइड का ताल्लुक़ शराब की ख़ुमारी से नहीं है.
कुछ जानकार कहते हैं कि शराब में मिलाए जाने वाले दूसरे केमिकल हैंगओवर के लिए ज़िम्मेदार हैं. इन्हें कॉन्जेनर्स कहते हैं. ये कई तरह के कण होते हैं., जो व्हिस्की तैयार करते वक़्त मिलते हैं. इनकी मौजूदगी का एहसास लोगों को तब होता है, जब वो ज़्यादा पी लेते हैं.
गहरे रंग की शराब में ये तत्व ज़्यादा होते हैं. इसलिए डार्क बूर्बों शराब पीने से वोदका पीने के मुक़ाबले ज़्यादा नशा होता है. हालांकि हर इंसान में इसका असर अलग-अलग देखने को मिलता है. फिर हैंगओवर के असर का ताल्लुक़ लोगों की उम्र से लेकर उनके शराब पीने की मात्रा तक पर निर्भर करता है.
हक़ीक़त ये है कि शराब की ख़ुमारी किसी एक तत्व की वजह से नहीं होती. इसके कई कारण होते हैं. शराब पीने से हमारे शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है.
इस दौरान लोग पेशाब ज़्यादा करने लगते हैं. उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है. सिर भारी होने का ताल्लुक़ इससे भी होता है. शराब पीने से नींद पर भी असर होता है. अक्सर लोग देर रात तक शराब पीते हैं. नतीजा ये होता है कि वो ठीक से सो नहीं पाते. थकान महसूस होने के पीछे ये वजह भी होती है.
नीदरलैंड की उत्रेख़्त यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर योरिस सी वेर्सटर कहते हैं कि, 'ज़्यादा शराब पीने के बाद हमारा शरीर उससे लड़ने में ताक़त लगाता है, ताकि बदन पर शराब का बुरा असर न हो. शायद इस वजह से भी लोग ज़्यादा पी लेने के बाद कनफ्यूज़ नज़र आते हैं.'
इंटरनेट पर शराब के नशे से उबरने के लिए हज़ारों नुस्खे मिल जाएंगे. कोई बताएगा कि केले खाने से राहत मिलेगी. क्योंकि शराब पीने से शरीर में पोटैशियम कम हो जाता है. केला खाने से शरीर की पोटैशियम खनिज की ज़रूरत पूरी होगी और हैंगओवर भाग जाएगा. मगर, पोटैशियम की कमी कोई एक रात शराब पीने से नहीं होती, जो केला खाने से फ़ौरन दूर हो जाएगी.
No comments:
Post a Comment