Monday, January 28, 2019

委内瑞拉危机:从获奖建筑奇观到国家情报总部

委内瑞拉首都加拉加斯一个小山坡上,矗立着一座超现代风格的巨型建筑,傲然俯瞰着脚下向四外蔓延的贫民窟。

这就是著名的“螺旋大厦”(El Helicoide),本来应该是世界上第一座汽车购物中心,汽车从底层入口顺盘旋的车道上行,可以直接到达楼内300多家商店购物。它曾经是象征国家富饶强盛的标志性建筑,后来却成了令人恐惧的政治犯监狱,国家情报机构总部。

这幢几近完工的“烂尾楼”从天堂跌入地狱,也成了委内瑞拉从拉美强国由鼎盛落入衰败的象征。

“速成现代化”
“螺旋”建于1950年代。当时委内瑞拉国内一派生机勃勃的气象,石油带来滚滚财富,伴以宏伟远大的抱负。

正值第二次世界大战后的全球经济复苏盛世,委内瑞拉军事独裁政府首脑马科斯·佩雷斯·希门尼斯(Marcos Perez Jimenez)希望在国际上营造一个具有前瞻性的形象。

螺旋下降:El Helicoide 从购物中心到监狱的坠落》(Downward Spiral: El Helicoide's Descent from Mall to Prison)共同作者之一丽莎·布莱克莫(Lisa Blackmore)是英国埃塞克斯大学拉美研究系负责人。她说,这种速成式现代化当初吸引了相当可观的投资。

那是因为从1948年开始,她解释说,委内瑞拉就被军事独裁政府统治,而政府的信条就是建筑推动进步。

“螺旋”购物中心原本是设计成世界上第一个得来速(drive-thru)式购物中心,一条盘旋的车道把300家精品店串连在一起。整个建筑体积庞大,从首都加拉加斯城的任何一个角落都能看见。

布莱克莫博士说:“这座购物中心绝对是标志性建筑,在拉丁美洲独一无二。”

按照设计蓝图,这个巨型建筑配备一个直升机停机坪,内含一座酒店,电梯的产地是奥地利维也纳,采用世界一流的技术,还有特制的大楼穹顶。

后来,1958年,希门尼斯被赶下台,这个庞然大物就成了“白象工程”—— 昂贵无用、华而不实的政府工程项目。

大楼空置了很多年,期间不时有人提出新的利用方案,但都以失败告终。

到了1980年,委内瑞拉政府开始把一些政府机构迁入“螺旋大厦”,其中最重要的一个部门就是安全情报机构,国家情报局SEBIN。

自那以后,这幢大楼就成了令人心惊胆战的地方,里面关押着刑事犯和政治犯。

BBC走访了一些曾经被囚禁在那里的人士,他们的家人、律师、非政府组织,还有两名前狱警。透过这些信息,“螺旋”内的日常图景依稀浮现。

我们的采访对象要求不透露姓名,担心自己的亲属受到政府的打击报复。

2014年5月,委内瑞拉爆发大规模反政府示威抗议,警察逮捕了3000多人,都关在“螺旋大厦”。

其中一位名叫罗斯米特·曼迪拉,32岁。他当时已经是远近闻名的政治活动人士,公开为LGBT争取权益。就在监禁期间,他当选了委内瑞拉国民议会议员,成为该国第一位公开的同性恋国会议员。

Friday, January 18, 2019

77 करोड़ ईमेल ID हैक कैसे हुईं? अपने अकाउंट को ऐसे बचा सकते हैं

इस साल का सबसे बड़ा डेटा ब्रीच सामने आ चुका है. इसे लोग अब तक का सबसे बड़ा डेटा ब्रीच भी बता रहे हैं. 77 करोड़ से ज्यादा ईमेल आईडी और पासवर्ड पब्लिक कर दिए गए हैं. ये तमाम डेटा फाइल शेयरिंग वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए और इसका फाइल साइज 87GB है. हमने आपको चेक करने के तरीके भी बताए हैं कि कैसे आप चेक कर सकते हैं कि आपकी आईडी हैक हुई है या नहीं.

इस मामले में आईडी हैक होने का मतलब ये नहीं है कि आपकी आईडी कोई दूसरा यूज कर रहा है. बल्कि इसका मतलब ये है कि आपकी आईडी और पासवर्ड कहीं किसी के पास हैं. संभावना है कि इसका गलत यूज किया जा सकता है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये हुआ कैसे? क्या आपसे कोई चूक हुई है?

ऑस्ट्रेलियन साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर ट्रॉय हंट ने डिजिटल स्पेस में इस खुलासे से हलचल मचा दी है. उन्होंने दावा किया है कि करोड़ों लोगों की ईमेल आईडी और पासवर्ड मेगा नाम की फाइल शेयरिंग वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई हैं, जिसे बाद में वहां से हटा लिया गया. ये डेटा 12,000 फाइल्स में हैं, अब ये साफ नहीं है कि ये डेटा आया कहां से है और न ही किसी ने इसकी जिम्मेदारी ली है.

कितना गंभीर है ये मामला
ये हैक गंभीर तो है, लेकिन इसे समझना जरूरी है. ट्रॉय हंट ने कहा है कि 68 मिलियन यूनी ईमेल ऐड्रेस प्लेन टेक्स्ट में हैं. लेकिन पासवर्ड क्रिप्टोग्रैफिक्ली हैशेस हैं यानी इन्हें यूज करना काफी मुश्किल है. यानी इसे कोई आसानी से आपकी ईमेल आईडी खोलने के लिए यूज नहीं कर सकता है. खतरनाक ये है कि ये डेटा डार्क वेब नहीं है, बल्कि पॉपुलर फाइल शेयरिंग वेबसाइट पर अपलोड किया गया था.

ऐसे करें चेक

अगर आपकी आईडी भी हैक हुई है तो यहां Oh no — pwned! रिजल्ट मिलता है तो आपकी आईडी सेफ नहीं है. अब आप नीचे जा कर देखेंगे तो पाएंगे कि कुछ ऐप्स के नाम लिखे हैं. इन ऐप्स के जरिए ही आपकी आईडी का पासवर्ड हैक हुआ है?

आपका पासवर्ड कैसे पब्लिक हुआ?

इसके जिम्मेदार एक तरह से आप भी हैं. दरअसल ज्यादातर ऐप्स को यूज करने के लिए लॉग इन की जरूरत होती है. लॉग इन में तीन ऑप्शन आम तौर पर मिलते हैं. इनमें एक क्रिएट न्यू अकाउंट, लॉग इन और लॉग इन विद जीमेल/फेसबुक. लोग आसानी के लिए लॉग इन विद जीमेल कर देते हैं. ऐसे में इस ऐप को एक टोकेन दिया जाता है और यह आपके जीमेल अकाउंट से जुड़ कर आपकी डीटेल्स लेता रहता है. इस स्थिति में उस ऐप डेवेलपर को आपकी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है और कोई हैकर्स उन ऐप्स को टार्गेट करके आपका पासवर्ड भी ले सकता है. आप एक बार को जीमेल पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन उन थर्ड पार्टी ऐप्स पर भरोसा कैसे करेंगे जिन्हें आपने सिर्फ इसलिए जीमेल का ऐक्सेस दे रखा था, क्योंकि आपको एक ऑनलाइन क्विज खेलना था? यह एक उदाहरण है. तो एक वजह है जिससे आपकी आईडी हैक हुई है.

अब आपने ये देख लिया है कि किन ऐप्स की वजह से ऐसा हुआ है. अब आपको जीमेल से जुड़े थर्ड पार्टी ऐप्स का ऐक्सेस बंद करना है. इसके लिए जीमेल या किसी भी ईमेल आईडी के सेटिंग्स में जाएं. यहां गूगल सिक्योरिट पेज ओपन करें. Third-party apps with account access पर क्लिक करें. इसके नीचे Manage third party access का ऑप्शन मिलेगा. यहां क्लिक करते ही आपको उन ऐप्स की लिस्ट दिखेगी जिन्हें आपने अपने गूगल अकाउंट का ऐक्सेस दे रखा है. अब इसे क्लिक करके Remove Access का यूज करें.

इसके बाद पासवर्ड चेंज करें और पासवर्ड में न्यूमेरिक और स्पेशल कैरेक्टर्स का कॉम्बिनेशन रखें. सेटिंग्स में जा कर टू फैक्टर ऑथेन्टिकेशन ऑन कर लें.

Thursday, January 10, 2019

संसद से पास हुआ सामान्य वर्ग का आरक्षण, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई. अब इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार है.

राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया. लोकसभा ने इस विधेयक को एक दिन पहले ही मंजूरी दी थी जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था.

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाए जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जताई. हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिए लाया गया है.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था. क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है.

उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. वह बरकरार रहेगा.

विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया. इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जताई गई और पूर्व में पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गई. कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लाई है. अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को 'असंवैधानिक' बताते हुए सदन से वॉकआउट किया.

विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ऐसी क्या बात हुई कि यह विधेयक अभी लाना पड़ा? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हार के बाद संदेश मिला कि वे ठीक काम नहीं कर रहे हैं.

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को मैच जिताने वाला छक्का बताते हुये कहा कि अभी इस मैच में विकास से जुड़े और भी छक्के देखने को मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह साहसिक फैसला समाज के सभी वर्गों को विकास की मुख्य धारा में समान रूप से शामिल करने के लिए किया है.

उन्होंने इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा पर कहा कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा संविधान में नहीं लगाई गई है. उच्चतम न्यायालय ने यह सीमा सिर्फ पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समूहों के लिए तय की है.

Thursday, January 3, 2019

ज़्यादा शराब पीने के बाद हैंगओवर क्यों होता है?

नया साल ने दस्तक दे दी है. पार्टियों के दौर चल रहे हैं. जाम से जाम टकरा रहे हैं. अपनों के साथ, दोस्तों के इसरार पर, कुछ ज़्यादा ही पी ली जा रही है.

पर, नतीजा ये होता है कि रात की पार्टी का ख़ुमार उतरते ही सिर भारी होता है. उल्टी और चक्कर आते हैं. थकान महसूस होती है.

लोग कहते हैं कि ये पीने का हैंगओवर है. हिलसा का अचार खाओ. या अंडे खाओ या फिर ओइस्टर खा लो. उतर जाएगा ये ख़ुमार.

ज़्यादा शराब पीने के बाद अक्सर लोगों को हैंगओवर की शिकायत होती है. फिर, जो दोस्त ज़िद करके ज़्यादा शराब पिलाते हैं, वो अगले दिन की ख़ुमारी उतारने के नुस्खे बताने लगते हैं.

हैंगओवर कैसे उतरे, ये सवाल आज का नहीं, हज़ारों साल पुराना है. मिस्र में मिले 1900 साल पुराने एक भोजपत्र पर शराब के नशे से उबरने के नुस्खे लिखे पाए गए हैं.

यानी उस दौर में भी लोग ज़्यादा शराब पीने की ख़ुमारी उतारने की चुनौती से परेशान थे और इसका हल तलाश रहे थे. उस भोजपत्र में तो जो नुस्खा सुझाया गया था, वो आज अमल में ला पाना बहुत मुश्किल है.

पर, आज भी नशे की ख़ुमारी उतारने के लिए तमाम नुस्खे बताए जाते हैं. जैसे कि भुनी हुई कैनेरी चिड़िया का मांस खाना. नमकीन बेर खाना या फिर कच्चे अंडों, टमाटर के जूस, सॉस और दूसरी चीज़ें मिलाकर तैयार प्रेयरी ओइस्टर.

पर, मज़े की बात ये है कि इन में से कोई भी नुस्खा या तरक़ीब हैंगओवर से निजात दिलाने का पक्का वादा नहीं करती.

केवल, वक़्त ही हमें ज़्यादा शराब गटकने की ख़ुमारी से उबारता है. इसकी बड़ी वजह ये है कि अब तक हैंगओवर क्यों होता है, यही नहीं पता.

विज्ञान कहता है कि हमें जब ज़्यादा शराब पीने का हैंगओवर महसूस होता है. यानी जब सिर भारी होने, चक्कर आने और थकान की शिकायत होती है, तब तक तो शराब हमारे शरीर से निकल चुकी होती है.

तो, आख़िर हैंगओवर होता क्यों है?

शराब एथेनॉल से बनती है. इसे हमारे शरीर में मौजूद एंजाइम तोड़कर कई दूसरे केमिकल में तब्दील कर देते हैं. इनमें से सबसे अहम है एसिटेल्डिहाइड. इसे और तोड़कर एंजाइम इसे एसीटेट नाम के केमिकल में बदल देते हैं. ये एसीटेट वसा और पानी में बदल जाता है. कुछ वैज्ञानिक ये मानते थे कि एसिटेल्डिहाइड की वजह से हैंगओवर होता है. लेकिन, कुछ रिसर्च से ये बात सामने आई है कि एसिटेल्डिहाइड का ताल्लुक़ शराब की ख़ुमारी से नहीं है.

कुछ जानकार कहते हैं कि शराब में मिलाए जाने वाले दूसरे केमिकल हैंगओवर के लिए ज़िम्मेदार हैं. इन्हें कॉन्जेनर्स कहते हैं. ये कई तरह के कण होते हैं., जो व्हिस्की तैयार करते वक़्त मिलते हैं. इनकी मौजूदगी का एहसास लोगों को तब होता है, जब वो ज़्यादा पी लेते हैं.

गहरे रंग की शराब में ये तत्व ज़्यादा होते हैं. इसलिए डार्क बूर्बों शराब पीने से वोदका पीने के मुक़ाबले ज़्यादा नशा होता है. हालांकि हर इंसान में इसका असर अलग-अलग देखने को मिलता है. फिर हैंगओवर के असर का ताल्लुक़ लोगों की उम्र से लेकर उनके शराब पीने की मात्रा तक पर निर्भर करता है.

हक़ीक़त ये है कि शराब की ख़ुमारी किसी एक तत्व की वजह से नहीं होती. इसके कई कारण होते हैं. शराब पीने से हमारे शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है.

इस दौरान लोग पेशाब ज़्यादा करने लगते हैं. उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है. सिर भारी होने का ताल्लुक़ इससे भी होता है. शराब पीने से नींद पर भी असर होता है. अक्सर लोग देर रात तक शराब पीते हैं. नतीजा ये होता है कि वो ठीक से सो नहीं पाते. थकान महसूस होने के पीछे ये वजह भी होती है.

नीदरलैंड की उत्रेख़्त यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर योरिस सी वेर्सटर कहते हैं कि, 'ज़्यादा शराब पीने के बाद हमारा शरीर उससे लड़ने में ताक़त लगाता है, ताकि बदन पर शराब का बुरा असर न हो. शायद इस वजह से भी लोग ज़्यादा पी लेने के बाद कनफ्यूज़ नज़र आते हैं.'

इंटरनेट पर शराब के नशे से उबरने के लिए हज़ारों नुस्खे मिल जाएंगे. कोई बताएगा कि केले खाने से राहत मिलेगी. क्योंकि शराब पीने से शरीर में पोटैशियम कम हो जाता है. केला खाने से शरीर की पोटैशियम खनिज की ज़रूरत पूरी होगी और हैंगओवर भाग जाएगा. मगर, पोटैशियम की कमी कोई एक रात शराब पीने से नहीं होती, जो केला खाने से फ़ौरन दूर हो जाएगी.